जो जैसा करेगा वह वैसा भरेगा, यह है एक बहुत ही प्रसिद्ध Quote है इसका मतलब होता है कि जो जैसा कार्य करेगा उसको वैसा ही फल मिलेगा और यह एक शाश्वत सत्य है की जो व्यक्ति अभी जैसा कार्य करते है आगे चलकर उसको उसी तरह का फल मिलता है।
व्यक्ति का वर्तमान और भविष्य उसके कर्मों पर ही निर्भर करता है कि वह कैसा कम कर रहा है यहां पर हम कुछ Sanskrit Quotes on Karma को प्रस्तुत करेंगे जो की कर्मों पर आधारित है और साथ में उन सभी कोर्ट का अर्थ भी बताएंगे ताकि आप उनसे प्रेरणा ले सके।
Sanskrit Quotes on Karma
जीवन में किया गया कर्म ही हमें सिखाता है कि हमारे जीवन का हर पहलू हमारे कर्म का ही परिणाम है चाहे फिर वह सुख हो या चाहे दुख हो संस्कृत में कम को आत्मा की दिशा तक बताया गया है यहां पर हम कुछ Sanskrit Quotes on Karma बताएंगे जो कि आपके जीवन पर काफी प्रभाव डाल सकते हैं।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
हिंदी अर्थ : तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल पर नहीं , कभी भी नतीजे की चिंता में अपने कर्म से मुंह न मोड़ो, ईमानदारी से कार्य करो बाकी ईश्वर पर छोड़ दो।
यथा कर्म तथा फलम् इति नूनं हि शाश्वतम्।
नास्ति भाग्यं कृतं कर्म सर्वं एव फलप्रदम्॥
हिंदी अर्थ : जैसा कर्म होगा, वैसा ही फल मिलेगा यही सनातन नियम है भाग्य तब बनता है जब हम कर्म करते हैं, न कि खाली बैठे रहने से।
कर्मणा जायते जन्तुः कर्मणा एव विनश्यति।
सुखं दुःखं भयं शान्तिः कर्महेतुं समाश्रिता॥
हिंदी अर्थ : हमारा जन्म और मोक्ष दोनों कर्मों पर निर्भर करते हैं जीवन के सारे अनुभव सुख-दुख, भय और शांति हमारे कर्मों की देन हैं।
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥
हिंदी अर्थ : कोई भी व्यक्ति एक पल के लिए भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता प्रकृति के गुण हमें हर पल किसी न किसी कर्म में लगाए रखते हैं।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।
यत् स्वकर्मभिः समाचरन् सिद्धिं लभते नरः॥
हिंदी अर्थ : जब हम अपने ही काम को पूजा मानते हैं, तब सफलता अपने आप आती है हर काम को ईश्वर को अर्पित करने जैसा भाव लेकर करें यही सच्चा धर्म है।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः।
कर्म आवश्यकं सततं जीवनं धारयेत्॥
हिंदी अर्थ : अगर तुम कर्म नहीं करोगे तो शरीर तक नहीं चल पाएगा जीवन को चलाने के लिए हर दिन का कर्म उतना ही ज़रूरी है जितना सांस लेना।
कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्।
इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते॥
हिंदी अर्थ : जो बाहरी कर्मों को रोककर केवल मन में कल्पना करता है, वो भ्रम में है सच्चा साधक वह है जो मन, वाणी और कर्म तीनों से संयम रखे।
कर्मणो हि अपि भोक्तव्यं शुभं अशुभं एव च।
न हि कर्मविनाशः अस्ति विधत्ते फलम् आत्मनः॥
हिंदी अर्थ : हमें अपने हर कर्म का फल भुगतना ही पड़ता है अच्छा या बुरा कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता, यह समय आने पर हमें लौटता है।
संसिद्धिं लभते कर्म योगस्थः कुरु कर्मणि।
योगः कर्मसु कौशलम् इति ज्ञात्वा वर्तस्व भारत॥
हिंदी अर्थ : जो कर्म को योग की तरह करता है, वही पूर्णता को पाता है हर कार्य में कुशलता ही असली साधना है।
कर्मणि एव अधिकारः अस्ति ते मा फलेषु कदाचन।
फलत्यागः एव हि योगः कर्मयोगं वदन्ति च॥
हिंदी अर्थ : फल की इच्छा छोड़ देना ही कर्मयोग कहलाता है जब हम केवल कर्तव्य भावना से काम करते हैं, तभी आत्मिक संतोष मिलता है।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।
स्वकर्मे स्थिरो भूत्वा सदा धर्मं आचर॥
हिंदी अर्थ : अपने कर्म और कर्तव्य में लगे रहना ही उत्तम है, भले ही वह छोटा लगे दूसरों की राह में चलना, भले वो सुंदर लगे, आत्मा को भ्रमित कर सकता है।
कर्म योगेन शुद्ध्यन्ति मनः चित्तं च देहिनाम्।
नास्ति शुद्धिः अकर्मणः इति वेदः निगदति॥
हिंदी अर्थ : सच्ची पवित्रता कर्म से आती है, आलस्य से नहीं कर्म आत्मा को साफ करता है बिल्कुल वैसे जैसे नदी अपने बहाव से खुद को स्वच्छ रखती है।
कर्मणि यः असक्तः सः सदा मुक्तः उच्यते।
निष्कामकर्मिणां लोके श्रेष्ठतमं समाचर॥
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति फल की आसक्ति से मुक्त होकर काम करता है, वही वास्तव में स्वतंत्र है ऐसे लोग दुनिया के लिए उदाहरण बनते हैं।
कर्मयोगेन तं ज्ञेयं आत्मनं आत्मनः सदा।
सर्वं कर्म ब्रह्मार्पणं इति भावं समाचर॥
हिंदी अर्थ : जब हम अपने कर्मों को ब्रह्म को समर्पित कर देते हैं, तब ही आत्मज्ञान प्राप्त होता है हर छोटा कार्य भी अगर श्रद्धा से किया जाए, तो वह पूजा बन जाता है।
फलम त्यक्त्वा शान्तिम् आप्नोति कर्मयोगी न कर्मलिप्यते।
त्यागेन एव हि अमृतत्वम् इति श्रुतिः वदति॥
हिंदी अर्थ : जो फल की आसक्ति को त्याग देता है, वही सच्ची शांति को प्राप्त करता है ऐसे व्यक्ति पर कोई कर्म बंधन नहीं लगाता वह मुक्त होता है।
Sanskrit Shlok on Karma
संस्कृत की अधिकतर शास्त्रों में कम को जीवन का मूल स्तंभ माना गया है भगवत गीता उपनिषद और हमारे कई वेदों में यह साफ स्पष्ट किया गया है कि हमारे कर्म ही हमारे जीवन की दिशा को तय करते हैं यहां पर हम आपके लिए Sanskrit Shlok on Karma लाए हैं जिससे आप अपने जीवन की दिशा को तय कर सकते हैं।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ (गीता 2.47)
हिंदी अर्थ : तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, उसके फल पर नहीं जो होगा, अच्छा ही होगा बस नीयत साफ रखो और अपना काम पूरे मन से करो।
यथाकर्म तथा लभते, कर्मणा जायते जन्तुः।
सुखं दुःखं भयं शान्तिं सर्वं कर्मानुसारतः॥
हिंदी अर्थ : जीवन में जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल पाओगे ये प्रकृति का अटल नियम है आज के अच्छे कर्म, कल की खुशहाली की बुनियाद बनते हैं।
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥ (गीता 3.5)
हिंदी अर्थ : इंसान चाहे न चाहे, कर्म तो उसे करना ही पड़ता है कुदरत भी चैन से बैठने नहीं देती तो क्यों न ऐसे कर्म करें जो हमें शांति और सम्मान दोनों दें?
कर्मजं बुद्धियुक्ता हि फलं त्यक्त्वा मनीषिणः।
जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः पदं गच्छन्ति नामयम्॥ (गीता 2.51)
हिंदी अर्थ : बुद्धिमान लोग केवल फल की चिंता छोड़कर कर्म करते हैं, और यही उन्हें जन्म-मरण के बंधन से मुक्त करता है त्याग का भाव, कर्म को पूजा बना देता है।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।
कर्तव्यं कर्म सदा कुर्यात् फलेषु आसक्तिम् विना॥
हिंदी अर्थ : अपने कर्म को ईश्वर की आराधना मानो, फिर सफलता जरूर मिलेगी जब काम इबादत बन जाए, तब जीवन खुद ही संवर जाता है।
कर्म योगेन संसिद्धिः पुरुषस्य न संशयः।
अकर्मणः न सिध्यन्ति कार्याणि लोकसंश्रये॥
हिंदी अर्थ : कर्म से ही पूर्णता मिलती है, ये निश्चित है जो कुछ नहीं करते, वे जीवन में केवल समय ही गँवाते हैं सम्मान नहीं पाते।
यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः।
तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसंगः समाचर॥ (गीता 3.9)
हिंदी अर्थ : अगर कर्म ईश्वर के लिए न हो, तो वह बंधन बन जाता हैजब हम स्वार्थ नहीं, सेवा की भावना से कर्म करते हैं, तभी हम मुक्त होते हैं।
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः॥ (गीता 3.8)
हिंदी अर्थ : अपने कर्तव्य को निभाना ही सबसे बड़ा धर्म है अगर तुम कुछ नहीं करोगे, तो शरीर तक नहीं टिकेगा काम ही जीवन का ईंधन है।
फलत्यागः हि योग उच्यते, कर्मसु कौशलं योगः।
निष्कामकर्म सदा श्रेयः इति वेदान्तः वदति॥
हिंदी अर्थ : फल की चिंता छोड़ देना ही असली योग है जब हम मन लगाकर कर्म करते हैं, और उससे मोह नहीं रखते तब हम सच्चे योगी बनते हैं।
कर्म ब्रह्मार्पणं भवेत्, तस्मात् कर्म समाचर।
कर्मणि एव अस्ति धर्मः, आत्मा कर्मेण शुद्ध्यति॥
हिंदी अर्थ : जब हम अपने कर्मों को ईश्वर को समर्पित करते हैं, तो कर्म पवित्र हो जाते हैं सच्चा धर्म वही है जिसमें कर्म और भक्ति एक साथ चलें।
Karma Shlok in Sanskrit
जो व्यक्ति भाग्य और अपने भविष्य की चिंता किए बिना ही अपना कर्म करता है वही सच्ची अर्थ में स्वतंत्र और शांत होता है इस लेख में हम आपके साथ साझा कर रहे हैं 10 Karma Shlok in Sanskrit जो कर्म को गहराई से समझाते हैं।
स्वकर्मणा तमभ्यर्च्य सिद्धिं विन्दति मानवः।
कर्तव्यं कर्म कुर्याच्च लोकसंग्रहमेव च॥ (गीता 18.46)
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति अपने कर्म को ही ईश्वर की पूजा मानकर करता है, उसे जीवन में सफलता ज़रूर मिलती है दूसरों के भले के लिए भी कर्म करना हमारे समाज को एक सुंदर दिशा देता है।
न कर्मणामनारम्भान्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते।
न च संन्यसनादेव सिद्धिं समधिगच्छति॥ (गीता 3.4)
हिंदी अर्थ : सिर्फ काम छोड़ देने से मोक्ष नहीं मिलता, और न ही बैठ जाने से सिद्धि मिलती है जीवन में कुछ पाने के लिए कर्म करना ही पड़ेगा यही सच्चा मार्ग है।
नैव किंचित्करोमीति युक्तो मन्येत तत्त्ववित्।
पश्यन् श्रृण्वन् स्पृशञ्जिघ्रन्नश्नन् गच्छन् स्वपन् श्वसन्॥ (गीता 5.8)
हिंदी अर्थ : ज्ञानी व्यक्ति हर काम करते हुए भी स्वयं को कर्ता नहीं मानता क्योंकि वह जानता है कि सब कुछ प्रकृति के माध्यम से ही हो रहा है, अहंकार से नहीं।
सहयज्ञाः प्रजाः सृष्ट्वा पुरोवाच प्रजापतिः।
अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्॥ (गीता 3.10)
हिंदी अर्थ : ब्रह्मा ने संसार की रचना करते हुए यज्ञरूपी कर्म की व्यवस्था दी, जिससे सबका कल्याण हो जो कर्म हम पूरे मन और श्रद्धा से करते हैं, वही जीवन को फलदायी बनाते हैं।
कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम्।
तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम्॥ (गीता 3.15)
हिंदी अर्थ : कर्म की उत्पत्ति ब्रह्मा से हुई है, और वह ब्रह्म ब्रह्मांड में सर्वत्र व्याप्त है इसलिए कर्म करना न केवल ज़रूरी है, बल्कि एक आध्यात्मिक कर्तव्य भी है।
नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।
शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः॥ (गीता 3.8)
हिंदी अर्थ : अपने निर्धारित कर्म को करते रहो, क्योंकि कर्म न करने से जीवन भी नहीं चल सकता काम न करना सिर्फ समय की बर्बादी नहीं, आत्मा की शांति भी खो देता है।
अज्ञश्चाश्रद्दधानश्च संशयात्मा विनश्यति।
नायं लोकोऽस्ति न परो न सुखं संशयात्मनः॥ (गीता 4.40)
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति कर्म में विश्वास नहीं करता और हर बात में संशय करता है, वह इस लोक में भी दुखी रहता है और परलोक में भी सच्चा सुख उसे मिलता है जो पूरे विश्वास से कर्म करता है।
सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत।
कुर्याद्विद्वांस्तथासक्तश्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम्॥ (गीता 3.25)
हिंदी अर्थ : जैसे आम लोग आसक्ति से कर्म करते हैं, वैसे ही ज्ञानी व्यक्ति भी कर्म करता है, पर बिना आसक्ति के ताकि बाकी लोग भी प्रेरित हो सकें तुम्हारा कर्म सिर्फ तुम्हारा नहीं, समाज का भी मार्ग बन सकता है।
कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैरिन्द्रियैरपि।
योगिनः कर्म कुर्वन्ति सङ्गं त्यक्त्वात्मशुद्धये॥ (गीता 5.11)
हिंदी अर्थ : योगीजन शरीर, मन और बुद्धि से कर्म करते हुए भी आसक्ति से दूर रहते हैं वे कर्म को केवल आत्मा की शुद्धि का साधन मानते हैं, न कि स्वार्थ का।
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।
कर्मजं योगमास्थाय सत्त्वशुद्धिं लभेन्नरः॥
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति सफलता और असफलता दोनों में समान भाव रखता है, वही सच्चा योगी है जब कर्म को बिना डर और लालच के किया जाए, तभी आत्मा को शांति मिलती है।
Karma Quotes in Sanskrit
हमारे संस्कृत ग में कम को जीवन की गति और आत्मा की परीक्षा एवं मोक्ष का द्वार तक बताया गया है हम जैसा कर्म करते हैं हमें अपने जीवन में वैसा ही फल मिलता है यह केवल कोई कल्पना नहीं है बल्कि हजारों वर्षों से परखा गया एक सत्य है यहां पर हम लाए हैं कुछ Karma Quotes in Sanskrit जो कि आपके जीवन को एक नई मोड़ दे सकते हैं।
यथा बीजं तथा अंकुरः, यथा कर्म तथा फलम्।
धर्मेणैव जीवित्वं, अधर्मः पतनं ध्रुवम्॥
हिंदी अर्थ : जैसे बीज होगा, वैसे ही अंकुर फूटेगा कर्मों का भी यही नियम है धर्मपूर्वक कर्म जीवन को ऊंचा उठाता है, अधर्म से अंत निश्चित ही विनाश होता है।
कर्मशीलो नरः सदा, लक्ष्मीं प्राप्नोति निश्चलाम्।
आलस्यं हि मनुष्याणां, शत्रुवद्भवति सदा॥
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति सच्चे मन से काम करता है, वह स्थायी समृद्धि पाता है आलस्य, चाहे छोटा ही क्यों न हो, धीरे-धीरे जीवन को खोखला कर देता है।
कर्मणा वधते प्रज्ञा, कर्मणा वर्धते श्रुतिः।
निष्क्रियस्य न किंचिदपि, न च धर्मो न च यशः॥
हिंदी अर्थ : ज्ञान और प्रतिष्ठा दोनों कर्म से ही बढ़ते हैं जो निष्क्रिय है, उसके पास न धर्म रहता है, न यश और न ही आत्म-संतोष।
न कर्माणि परित्यज्य, यः रमते सुखमात्मनि।
स नित्यं तु मोहग्रस्तः, न स योगी न पण्डितः॥
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति काम छोड़कर केवल ध्यान में सुख खोजता है, वह भ्रम में है सच्चा योगी वही है जो कर्म करते हुए आत्मा को पा ले।
कर्ममार्गः श्रेष्ठतमः, ज्ञानात् पूर्वं विशेषतः।
ज्ञानं सिध्यति कर्मेण, कर्मेणैव विमुक्तता॥
हिंदी अर्थ : ज्ञान से पहले कर्म आता है, और वही उसे सिद्ध करता है मोक्ष की राह भी कर्म से होकर ही गुजरती है, ना कि केवल सोच से।
कर्मविपाके जातिर्मृत्युः सुखं दुःखं च जायते।
नियतिरेकमेवात्र कर्मणां फलदायकम्॥
हिंदी अर्थ : हमारी जाति, जन्म, सुख और मृत्यु सब कुछ पूर्व कर्मों का फल हैभाग्य नहीं, कर्म ही इस संसार की सबसे बड़ी नियंता है।
यः कर्मणि न बध्यते, स धर्मेण स्थिरो नरः।
लोकेऽस्मिन् स प्रशंस्यः, स्वर्गेऽपि पूज्यते सदा॥
हिंदी अर्थ : जो व्यक्ति कर्म करता है लेकिन उसमें आसक्त नहीं होता, वही सच्चे धर्म में स्थिर होता है ऐसे व्यक्ति को न केवल लोग सराहते हैं, बल्कि देवता भी पूजते हैं।
कर्मणा जयते वीरः, कर्मणा हि पण्डितः।
कर्महीनं नरं लोके, न कोऽपि मानमर्हति॥
हिंदी अर्थ : वीरता और विद्वता दोनों कर्म से ही मिलती हैं जो निष्क्रिय है, वह चाहे कितना भी ज्ञानी क्यों न हो, समाज में उसे कोई सम्मान नहीं देता।
कर्तव्यं हि मनीषाणां, न फलस्य अपेक्षा क्वचित्।
सच्चित्संकल्पयुक्तेन, कर्मेणैव विभाव्यते॥
हिंदी अर्थ : बुद्धिमान व्यक्ति सिर्फ अपने कर्तव्य पर ध्यान देता है, न कि फल पर सच्चे इरादे से किया गया कर्म, खुद ही एक दिन पहचान बन जाता है।
यः स्वधर्मे स्थिरः सदा, कर्म योगं समाचरन्।
न स मोहं न हिंसां च, न पीडां च करोत्यहो॥
हिंदी अर्थ : जो अपने धर्म और कर्म में सदा अडिग रहता है, वही कभी किसी को दुख नहीं देता ऐसा व्यक्ति न अहं करता है, न मोह करता है वह सच्चा शांत योद्धा होता है।
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निष्कर्ष
यहां पर हमने जितने भी Sanskrit Quotes on Karma दिए हैं वह सभी यही बताते हैं कि जीवन में जो कुछ भी है वह सब हमारे कर्मों पर ही निर्भर करता है तो इसलिए यदि हम जागरूक होकर अपना कम करें तो हमें जीवन में कभी भी असफलता नहीं मिलेगी।
FAQ : Sanskrit Quotes on Karma
क्या संस्कृत में कर्म के बारे में मोटिवेशनल श्लोक हैं?
हां, गीता, उपनिषद और महाभारत जैसे ग्रंथों में कई प्रेरणादायक श्लोक हैं जो कर्म के महत्व को दर्शाते हैं।
क्या इन श्लोकों को आम जीवन में प्रयोग कर सकते हैं?
बिल्कुल! यह श्लोक जीवन के हर क्षेत्र में प्रासंगिक हैं चाहे वह शिक्षा हो, कार्यस्थल हो या व्यक्तिगत जीवन।